Wednesday, April 30, 2014

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती



सफलता के उच्चतम शिखर पर खड़े व्यक्तियों को  देखकर उस शिखर पर पहुँचने का स्वप्न हर कोई देखता है] किन्तु वहाँ पहुँचता वही है] जिसमें उन समस्त बाधाओं व मुश्किलों को पार करने का सामर्थ्य होता है] जो मंज़िल तक पहुँचने के मार्ग के मध्य विध्यमान होती है- आज जो सफल हैं] उन्होंने कभी असफलता का सामना नहीं किया होगा] ऐसा नहीं है- सफलता जितनी सरल दिखती है] उसे प्राप्त करने का मार्ग उतनी ही कठिनाइयों से परिपूर्ण है- हर सफल व्यक्ति उसी राह पर चलकर सफलता के शिखर पर पहुँचे हैं] कई  बार वे उस राह पर थके होंगे] गिरे होंगे] मन में आया होगा या लोगों ने हौसला गिराया होगा कि वापस लौट चला जाये] ये तुम्हारे बस का नहीं- पर हार मानकर वे रुके नहीं] कदम वापस न लेकर चलते गये तभी वे आज उस मुकाम पर हैं] जहाँ दुनिया उनका अनुसरण करना चाहती है- 

जब कोई बच्चा चलना सीखता है] तो कई बार गिरता है- यदि पहली बार गिरने के बाद वह डर जाये और यह सोच ले कि अब वह कभी नहीं चल सकता] तो वह ज़िन्दगी भर चल नहीं पायेगा। ठीक उसी तरह एक बार असफलता मिलने पर कोई यह मान ले कि अब वह कभी सफल नहीं हो सकता] तो सफलता निश्चित रूप से उससे मुँह मोड़ लेगी- असफल वही होता है] जिसने कुछ कार्य करने का प्रयास किया है] जिसने कभी प्रयास ही नहीं किया] वह असफल कहाँ से होगा- असफलता का स्वाद चखकर ही सफल व्यक्ति सफल बना है- फ़र्क बस इतना है कि वह इस असफलता से डरा नहीं और स्वयं को जीवन भर के लिये पंगु बनने नहीं दिया] बल्कि उसे स्वीकार कर दुगुनी मेह्नत से अपने सपनों को पूर्ण करने में जुट गया-

ऐसी ही कहानी है १७ फ़रवरी १९६३ को ब्रुकबेन न्यूयॉर्क में जन्मे एक लड़के की। वह लड़का सिर्फ और सिर्फ जीतना चाहता था, किन्तु उसे कई बार हार का सामना करना पड़ा। किन्तु बजाय उन हारों से डरने के, उसने उन्हें गले लगाया और जुट गया उन्हें जीत में बदलने के लिये।

उसका सपना दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने का था] पर मंज़िल काफ़ी दूर थी। शुरुआत जीत से न होकर हार से हुई बचपन में भाइयों के साथ खेलते हुये हर बार वह अपने भाई लॉरी से हारा। उसके भाइयों ने हमेशा लॉरी को उससे बेहतर माना] फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी और कड़ी मेह्नत करता रहा खुद को निखारने के लिये] ताकि खुद को लॉरी से नहीं बल्कि सबसे बेहतर सबित कर सके।

हाई स्कूल में प्रवेश के पूर्व आयोजित बास्केटबॉल के ग्रीष्मकालीन कैंप में जब वह शामिल हुआ, तो उसने वहाँ सबको अपनी तेजी व खेल से अचंभित कर दिया। वह काफ़ी आशान्वित था यूनिवर्सिटी टीम ग्रुप में  क्वालीफाई कर लेने के लिए, किन्तु जब यूनिवर्सिटी टीम की घोषणा की गई, तो अपना नाम उस सूची में से नदारत पैकर वह हैरान रह गय। उसे लगा कहीं कोच ने उसका नाम गलती से तो नहीं छोड़ दिया क्योंकि उसके अधिकांश साथी चुन लिये गये थे। उसकी ऊँचाई उस वक्त १८३ सेमी थी और जिनका चुनाव हुआ था , वे सभी १९८ सेमी से अधिक थे। उसकी कम ऊँचाई के कारण उसके कोच ने सोच कि अच्छा है कि वह अभी जूनियर टीम मेँ खेलकर अपने खेल को और निखार ले। उस पल उसने स्वयं को  बहुत निराश और शर्मसार महसूस किया और घर पहुँचकर बहुत रोया। तब उसकी माँ उसके पास आई और उससे कहा कि सर्वोत्तम कार्य जो अभी तुम कर सकते हो वह यह है कि अपने कोच के निर्णय को गलत साबित कर दो। माँ के द्वारा दी गई यह सलाह उसके दिमाग में घर कर गई और उसने बेमन से ही सही यूनिवर्सिटी की जूनियर टीम में सम्मिलित होकर अपने खेल में सुधार लाने का कठिन प्रयास करना प्रारंभ कर दिया। बाद में इस खिलाड़ी ने न केवल स्वयं को यूनिवर्सिटी टीम ग्रुप का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी साबित किया बल्कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ बास्केटबॉल खिलाड़ियों में अपना नाम शुमार किया। 

दोस्तों, यह व्यक्ति है अमरीकी बास्केटबॉल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन, जो कि शिकागो बुल्स कि तरफ़ से खेलते  थे। वे अब तक के सर्वश्रेष्ठ NBA Players में से एक हैं, जिन्होंने ६ NBA Championship Ring व ५ बार NBA's Most Valuable Player के खिताब सहित अनेकों उपल्बधियाँ हासिल की है। सोचिये, यदि वे यूनिवर्सिटी टीम ग्रुप के क्वालीफाइंग लिस्ट में अपना नाम न देखकर अपने सबसे बड़े Passion व ज़िंदग़ी के सबसे बड़े स्वप्न बास्केटबॉल को ही छोड़ देते, तो क्या वे आज बास्केटबॉल की दुनिया के जगमगाते सितारे होते? अपने सपनों को पूर्ण करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता। सपनों को पूर्ण करने की तीव्र इच्छा और असफलता के भय से मुक्त अनवरत प्रयास ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

माइकल जॉर्डन का मानना है सफल होने के लिये सफलता की इच्छा असफलता के भय से अधिक होनी चाहिये।

उन्होंने अपने सम्पूर्ण करियर में ९००० शॉट मिस करें] ३०० गेम हारे] २६ बार उन पर भरोसा किया गया कि वे विनिंग शॉट लेंगे और उनसे वह मिस हो गया- उनका मानना है कि मैं अपने जीवन में बार बार असफल रह हूँ और इसी कारण से मैं सफल हूँ।
 
उनके द्वारा कहा गया ये कथन कि मुझे हार स्वीकार्य है, हर कोई  कभी न कभी हारता है, लेकिन प्रयास करना छोड़ देना मुझे कभी स्वीकार्य नहीं, लगातार प्रयासरत रह्ने लिये प्रेरित करता है क्योंकि जो असफलता से भयभीत हो जाते  हैं और असफल होने के भय से कभी प्रयास ही नहीं करते, वे कभी सफ़ल नहीं हो सकते। असफलता और सफलता के मध्य की दूरी तय करने के लिये प्रयास करना आवश्यक है। "हारना बुरी विफलता नहीं है, कोशिश न करना  बुरी विफलता है."

             अतः दोस्तों अपने सपनों को पूर्ण करने के लिये सर्वदा प्रयासरत रहें क्योँकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।                 

                    दोस्तों, इस motivational article को पढ़ने  लिये आपका धन्यवाद। इस post के संबंध में आप अपने बहुमूल्य  विचार अपने comments के माध्यम से हमें व्यक्त कर सकते हैं। Thank You.


2 comments:

  1. Kya baat hai apke articles ka jawaab nahi.. Mr. Harivansh Ray Bachhan Sahab ne v kaha hai- Asafalta ek chunouti hai Swikar Karo kya kami Rah gayi dekho aur Sudhar Karo* Qki bina kuchh kiye hi Jay-Jay kaar nahi hoti Mehanat karnr walon kii kavi haar nahi hoti* Lahron se Darkar nauka kavi paar nahi hoti KOSISH KARNE WALON KI KAVI HAAR NAHI HOTI**

    Hope apka next article jald hi padhhne ko mile*
    Thank u*

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  2. Thanks Kiran for reading this article and your valuable comment!

    हरिवंश राय बच्चन की पक्तियां वाकई हौसला बढ़ाने वाली है. कोशिश रहेगी कि जल्द ही नया article यहाँ पोस्ट करूँ। Thanks again for encouragement!

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